Sunday, October 25, 2015

अप्रमाणिक व्यापारी

एक बार एक भिखारी बाजार से गुजर रहा था, तभी उसे एक चमडे की थेली मिली। भिखारी ने  देखा तो उसमे सो सोनामहोर भरे हुए थे। तभी उसे एक व्यापारी के चिलाने की आवाज सुनाई पड़ी, वो कह रहा था, "जो कोय भी मेरी ठेली ढूढ़ने में मदद करेगा उसे में इनाम दूंगा।

भिखारी गरीब जरुर था पर बिलकुल प्रमाणिक था। उसने उस व्यापारी को सोनामहोर से भरी थेली लोटाते हुए कहा, "ये लो आपकी थेली, अब मुझे मेरा इनाम दीजिए। व्यापारी बिलकुल अप्रमाणिक था। वो अपनी थेली में झाकते हुए बोला, "अरे ! कैसा इनाम? मेरी ठेली में तो दोसो सोनामहोर थी, पर इस में तो सिर्फ सो सोनामहोर ही है।"

यह सुन कर भिखारी काफी दंग रह गया, और बोला, " अरे श्रीमान, कैसी बात कर रहे है आप! इस में तो सो सोनामहोर ही थी। आप जूठ मत बोलिए, वरना में राजा के दरबार में फरियाद करूँगा।"
व्यापारी के हामी भरने के बाद दोनों दरबार में गए और अपनी पूरी बात बताई। पूरी बात सुनके राजा ने Tenali Ramanसे न्याय करने को कहा।

Tenali Ramanने न्याय करते हुए कहा, " ठीक है बंधुओ, आप दोनों ही प्रमाणिक है, और जैसा की इस व्यापारी ने  बताया की उसकी  थेली में दोसो सोनामहोर थी, पर जब इस व्यक्ति को यह थेली मिली तो उसमे सिर्फ सो सोनामहोर ही थी। तो इसका मतलब यह हुआ की यह जो थेली है वह इस व्यापारी की नहीं है।"
यह कहते हुए वह सो सोनामहोर उस भिखारी को देने का आदेश सुनाया।

बोध:- किसी भी परिस्थिति  में अपनी प्रमाणिकता मत छोडिए। हो सकता है आपको तुरंत कुछ लाभ न मिले पर जो भी लाभ बाद में मिलेगा होगा वो खुशिया लेकर ही आएगा। अप्रमाणिकता से मिला हुआ लाभ न तो आपको खुशिया देगा और न ही ज्यादा देर टिकेगा।

न्याय और तेनाली रामन


एक दिन Tenali Raman बाजार में से निकल रहे थे, तभी उसकी नजर एक दुकान के पास लोगो की भीड़ पर पड़ी। किसी से पूछने पर पता चला की एक गरीब किशान एक बोरा उठा कर जा रहा था और उनके ज्यादा वजन के कारन वो उसके हाथ से गिर पड़ा। उसी वक्त वहा से एक मुर्गी का बच्चा गुजर रहा था, जो इस बोरी की निचे दबकर मर गया।

वह बचा काफी छोटा सा था। उसकी कीमत सिर्फ पांच सोनामहोर ही थी, पर उसका मालिक जो की वो दुकानदार था वो पचास सोनामहोर की मांग कर रहा था। उसका कहना था की ये बच्चा दो साल बाद बड़ा हो जाता और उसकी कीमत उसको पचास सोनामहोर मिलती। किशान बेचारा काफी गरीब था, वो इतनी सोनामहोर कहा से दे पाता।

इसी को लेकर जगडा काफी बढ़ गया और वहा काफी सारे लोग जमा हो गए। तभी वहा Tenali Raman वहा पर आए।

Tenali Raman को देख कर दुकानदार गिडगिडाने लगा और बोला, "हमारा न्याय कीजिये हुजुर, इस बेपरवाह किशान ने मेरे मुर्गी के बच्चे पर बेपरवाही से बोरा गिरा कर मर डाला, अगर वो बच्चा जिन्दा रहता तो दो साल बाद बड़ी सी मुर्गी बन जाता और उसकी कीमत पचास सोनामहोर मुझे मिलती।" किशान डर के मारे बेचारा कुछ बोल नहीं पा रहा था।

तभी Tenali Raman ने हुकुम सुनाया, "इस दुकानदार को पचास सोनामहोर चुकाए जाए।"
यह सुनकर दुकानदार काफी खुश हो गया, पर किशान के पैरो तले से मानो जमीन ही खिसक गई। लोग भी काफी हेरान थे। सब के मन में बस एक ही सवाल था की आखिर क्या हो गया है Tenali Ramanजी को? क्या ये वही Tenali Ramanजी है जिसकी न्याय प्रियता के बारे में हमने सुना था!

तभी Tenali Raman उसकी बात को आगे बढ़ाते हुए दुकानदार से पूछा, "मुर्गी का बच्चा एक साल में कितना अनाज चुगता है?" दुकानदार ने उतर दिया, " जी हुजुर, आधा बोरी अनाज" 

Tenali Raman बोले ,"इसका मतलब ये हुआ की अगर ये बच्चा जिन्दा रहता तो दो साल में एक बोरी अनाज चुग जाता, तो तुम इस किशान को एक बोरी अनाज चुकाओगे।" यह सुनकर दुकानदार को मानो सांप सूंघ गया, क्यों की एक बोरी अनाज की कीमत पचास सोनामहोर से ज्यादा थी।

दुकानदार को अपनी गलती का अहेसास हो गया और उसने किशान से एक भी सोनामहोर नहीं लिया। उसने किशान से माफ़ी मांगी और दुकान में चला गया.।


बोध:- चाहे गरीब हो या फिर आमिर न्याय सब के लिए समान होना चाहिए। क्या आपको लगता है इस समय ये संभव है? किसी गरीब को बेकसूर हो कर भी कई साल जेल में गुजार ने पड़ते है और मुजरिम होने के बावजूद कुछ लोग इसी लिए बहार घूम रहे है क्यों की उनके पास पैसे है। जरुरत है हमारी न्याय प्रणाली भी तेनाली रामन जैसी बने।
आपके विचार अवश्य बताए। धन्यवाद।