एक बार एक भिखारी बाजार से गुजर रहा था, तभी उसे एक चमडे की थेली मिली। भिखारी ने देखा तो उसमे सो सोनामहोर भरे हुए थे। तभी उसे एक व्यापारी के चिलाने की आवाज सुनाई पड़ी, वो कह रहा था, "जो कोय भी मेरी ठेली ढूढ़ने में मदद करेगा उसे में इनाम दूंगा।
भिखारी गरीब जरुर था पर बिलकुल प्रमाणिक था। उसने उस व्यापारी को सोनामहोर से भरी थेली लोटाते हुए कहा, "ये लो आपकी थेली, अब मुझे मेरा इनाम दीजिए। व्यापारी बिलकुल अप्रमाणिक था। वो अपनी थेली में झाकते हुए बोला, "अरे ! कैसा इनाम? मेरी ठेली में तो दोसो सोनामहोर थी, पर इस में तो सिर्फ सो सोनामहोर ही है।"
यह सुन कर भिखारी काफी दंग रह गया, और बोला, " अरे श्रीमान, कैसी बात कर रहे है आप! इस में तो सो सोनामहोर ही थी। आप जूठ मत बोलिए, वरना में राजा के दरबार में फरियाद करूँगा।"
व्यापारी के हामी भरने के बाद दोनों दरबार में गए और अपनी पूरी बात बताई। पूरी बात सुनके राजा ने Tenali Ramanसे न्याय करने को कहा।
Tenali Ramanने न्याय करते हुए कहा, " ठीक है बंधुओ, आप दोनों ही प्रमाणिक है, और जैसा की इस व्यापारी ने बताया की उसकी थेली में दोसो सोनामहोर थी, पर जब इस व्यक्ति को यह थेली मिली तो उसमे सिर्फ सो सोनामहोर ही थी। तो इसका मतलब यह हुआ की यह जो थेली है वह इस व्यापारी की नहीं है।"
यह कहते हुए वह सो सोनामहोर उस भिखारी को देने का आदेश सुनाया।
बोध:- किसी भी परिस्थिति में अपनी प्रमाणिकता मत छोडिए। हो सकता है आपको तुरंत कुछ लाभ न मिले पर जो भी लाभ बाद में मिलेगा होगा वो खुशिया लेकर ही आएगा। अप्रमाणिकता से मिला हुआ लाभ न तो आपको खुशिया देगा और न ही ज्यादा देर टिकेगा।